डिजिटल डेस्क, देहरादून। कोरोना संकट के साये में मेष लग्न में बुधवार सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर भगवान केदारनाथ धाम के पट खोले गए। इस के बाद विधिविधान से भगवान की पूजा की गई। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट खुलने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया। उत्तराखंड में मौजूद 1000 साल पुराने इस मंदिर में ऐसा पहली बार हुआ कि साल में शुरुआत में पहली पूजा में मात्र 16 लोग मौजूद रहे। बता दें कि यह मंदिर हर साल सर्दियों के छह महीने बंद रहता है। पिछले साल कपाट खुलने के दिन 3 हजार लोगों ने केदारनाथ के दर्शन किए थे। केदारनाथ मंदिर के रावल कपाट खुलने के दौरान मौजूद नहीं थे, वे क्वारैंटाइन हैं।
तड़के तीन बजे से मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग द्वारा बाबा की समाधि पूजा के साथ अन्य सभी धार्मिक औपचारिकताएं पूरी की गईं। इसके बाद तय समय पर सुबह 6.10 बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए। धाम के कपाट खुलने के दौरान पिछले वर्षों की भांति सेना का बैंड शामिल नहीं हुआ। बेहद सादगी पूर्वक मंदिर के कपाट खुले। बताया कि केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग ऊखीमठ में चौदह दिनों की क्वारंटीन में हैं। उनके प्रतिनिधि के तौर पर पुजारी शिवशंकर लिंग ने कपाट खुलने की संपूर्ण प्रक्रियाओं का निर्वहन किया। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड के चार में से तीन धामों के कपाट खुल गये हैं। गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर 26 अप्रैल को खुल चुके हैं। जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी दीं शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए कहा कि आज पूरे विधि विधान के साथ 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने पर सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं। आपका मनोरथ पूर्ण हो, बाबा केदार का आशीष सभी पर बना रहे, ऐसी मैं बाबा केदारनाथ जी से कामना करता हूं। बाबा से प्रार्थना है कि समस्त मानवता की कोरोना से रक्षा करें।
12 ज्योतिर्लिंगों में यह सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना मंदिर है
मंदिर के पट हर साल वैशाख महीने यानी मार्च-अप्रैल में खोले जाते हैं। करीब 6 महीने तक यहां दर्शन और यात्रा चलती है। इसके बाद कार्तिक माह यानी अक्टूबर-नवंबर में फिर कपाट बंद हो जाते हैं। कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ की डोली ऊखीमठ ले जाई जाती है, जहां ओंकारेश्वर मंदिर में उनकी पूजा होती है। 12 ज्योतिर्लिंगों में यह सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना मंदिर है, जिसे आदि शंकराचार्य ने बनवाया था।
10 क्विंटल फूलों से सजाय मंदिर
देवस्थानम बोर्ड के कार्यधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि संगम से मंदिर परिसर तक बर्फ को काटकर चार फीट से अधिक चौड़ा रास्ता बनाया गया। धाम को सुंदर फूलों से सजाया गया है। तीर्थनगरी के सतीश कालड़ा ने इस काम को अंजाम दिया। सतीश ने बताया कि मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है। प्रतिवर्ष वह बदरीनाथ मंदिर को भी सजाने का कार्य करते हैं। केदारनाथ मंदिर को सजाने का सौभाग्य उन्हें पहली बार मिला है।
डाक द्वारा भक्तों को भेजा जाएगा प्रसाद
इधर, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते सीमित संख्या में बोर्ड कर्मियों, तीर्थ पुरोहितों और प्रशासन के लोगों को केदारनाथ धाम जाने की अनुमति दी गई। देवस्थानम बोर्ड को केदारनाथ धाम के कपाटोद्घाटन के लिए कोरोना संक्रमण से पहले 10 लाख की ऑनलाइन बुकिंग मिली थी। ये सभी बुकिंग महाभिषेक पूजा व रुद्राभिषेक पूजा की थी, लेकिन देश में लॉकडाउन के कारण श्रद्धालु धाम नहीं जा पाएंगे। बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि ऑनलाइन जितनी बुकिंग मिली है, उनकी पूजा कर प्रसाद डाक से भेजा जाएगा।
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