डिजिटल डेस्क, जयपुर, 28 जुलाई (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निवास पर मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें राजस्थान विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा हुई। बैठक ढाई घंटे तक चली। गहलोत की टीम ने अपने जवाब का मसौदा तैयार किया और 31 जुलाई को विशेष विधानसभा सत्र बुलाने के लिए तीसरी बार उनसे अनुरोध करते हुए राज्यपाल को पत्र भेजा। अब राज भवन के जवाब का इंतजार है।
कैबिनेट की बैठक के तत्काल बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खारियावास ने कहा कि सत्र बुलाने का हमारा कानूनी अधिकार है। उन्होंने कहा, राज्यपाल इस पर सवाल नहीं कर सकते, फिर भी हम उनके प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं। जहां तक 21 दिनों के नोटिस का प्रश्न है, 10 दिन पहले ही बीत चुके हैं, फिर भी राज्यपाल ने कोई तिथि जारी नहीं की है। यदि राज्यपाल ने इस बार भी हमारे प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि देश में संविधान का शासन नहीं है।
राज्यपाल विशेष विधानसभा सत्र की मांग के प्रस्ताव वाली राज्य सरकार की फाइल को दो बार लौटा चुके हैं। गहलोत सरकार लगता है कि 31 जुलाई से विशेष सत्र बुलाने पर अब अडिग है। राजनीतिक संकट सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच लड़ाई के साथ शुरू हुई है, जो अब गहलोत बनाम राज्यपाल की लड़ाई में बदल गई है। इसके पहले सोमवार को राज्यपाल ने विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की गहलोत सरकार की मांग को खारिज कर दिया था और कहा था कि सत्र बुलाने के लिए सरकार को 21 दिनों का नोटिस देना होगा।
राज्यपाल ने यह भी पूछा था कि क्या सरकार कोई विश्वास मत चाहती है। उन्होंने कहा, यदि किसी भी परिस्थिति में किसी विश्वास मत को पारित करने की जरूरत होती है तो इसे संसदीय मामलों के विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में होना चाहिए और एक वीडियो रिकॉर्डिग भी की जाए। इसका जीवंत प्रसारण भी किया जाए। उन्होंने यह भी पूछा था कि यदि विधानसभा सत्र बुलाया जाता है तो सोशल डिस्टेंसिंग कैसे सुनिश्चित की जाएगी? राज्यपाल ने सवाल किया कि क्या कोई ऐसा तंत्र है, जिसके जरिए 200 सदस्यों और 1000 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोनावायरस का कोई खतरा नहीं होगा? यदि किसी को संक्रमण है, तो उसे फैलने से कैसे रोका जाएगा?
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