कानपुर, 8 जुलाई (आईएएनएस)। कानपुर में हुए नरसंहार के बाद बड़ी कार्रवाई करते हुए यहां के चौबेपुर थाने के करीब 68 पुलिस कर्मियों को मंगलवार देर रात लाइन हाजिर कर दिया गया। पिछले शुक्रवार को बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद से थाने के कर्मचारी संदेह के घेरे में आ गए हैं।
इससे पहले कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी को चौबेपुर के थाना प्रभारी का बचाव करने को लेकर संदिग्ध रवैये के कारण पीएसी मुरादाबाद में स्थानांतरित कर दिया गया था। गौरतलब है कि चौबेपुर थाना प्रभारी की कानपुर के एक व्यापारी जय बाजपेयी के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं, वहीं बाजपेयी को दुबे का फायनांसर कहा जा रहा है।
बता दें कि अनंत देव एसटीएफ के डीआईजी के पद पर तैनात थे।
प्रारंभिक जांच के बाद चौबेपुर के पुलिस कर्मियों के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है। जांच में पाया गया कि चौबेपुर के अधिकांश पुलिसकर्मी गैंगस्टर विकास दुबे के संपर्क में थे।
थाना प्रभारी विनय तिवारी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। कॉल डिटेल रिकॉर्डस में गैंगस्टर के साथ संबंधों की पुष्टि होने के बाद तीन और पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया है।
कहा जा रहा है कि दुबे को उसे पकड़ने के लिए आ रही पुलिस टीम के बारे में पुलिस स्टेशन से टिप मिल गई थी, जिसके बाद ही उसने पुलिस पर हमले के लिए तैयार की थी।
इस मुठभेड़ में शहीद हुए सर्कल ऑफिसर देवेंद्र मिश्रा द्वारा कथित तौर पर पत्र में लिखा गया था कि कैसे चौबेपुर स्टेशन अधिकारी गैंगस्टर को बचाने की कोशिश कर रहे थे।
इस मामले में लखनऊ रेंज की आईजी लक्ष्मी सिंह पुलिस की भूमिका के बारे में पूछताछ कर रही हैं।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस स्टेशन के पूरे कर्मचारियों को जांच के लिए लाइन हाजिर कर दिया गया है और जांच के नतीजों के आधार पर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
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