नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक बार फिर से दिल्ली सरकार की खिंचाई की है और कहा है कि दिल्ली रोजाना 15,000 आरटी-पसीआर परीक्षण कर सकती है, लेकिन वह 11,000 ही कर रही है ।

जस्टिस हेमा कोहली और सुब्रमोनियम प्रसाद की एक डिवीजन बेंच ने कहा, दिल्ली में आरटी-पीसीआर मोड के जरिए रोजाना 15 हजार परीक्षण करने की क्षमता है लेकिन 4,000 आरटी-पीसीआर परीक्षण कम हो रहे हैं, लिहाजा 14 सितंबर से 27 सितंबर 2020 के दौरान मामलों की संख्या के रोजाना 3,500-4,000 के बीच आने का कोई मतलब ही नहीं है।

अदालत ने आगे कहा कि सीरो सर्वे -3 की रिपोर्ट में आईजीजी एंटीबॉडीज 28.7 प्रतिशत से घटकर 25.1 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा, उत्तर-पश्चिम और मध्य जिलों में गिरावट आई है, लेकिन पश्चिम, दक्षिण, उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी जिलों में वृद्धि हुई है। जिससे निष्कर्ष निकलता है कि केन्द्रीय, पूर्वोत्तर और उत्तर जिलों में सर्वे के नूमनों पर ध्यान देने की जरूरत है।

अदालत के समक्ष दायर अपनी रिपोर्ट में सरकार ने कहा कि जियोस्पेशियल दिल्ली लिमिटेड ने ड्राफ्ट मैप में बदलावों को शामिल किया है।

आदेश में उल्लेख किया गया, मैप में दिल्ली के कुल 320 परीक्षण स्थलों का उल्लेख किया गया है। इस मेप को डीएमआरसी के साथ साझा किया गया है, जिन्हें सभी प्रमुख मेट्रो स्टेशनों और साइटों पर प्रदर्शित किया जाएगा। इसे विभिन्न वेबसाइटों पर प्रदर्शित करने के लिए दिल्ली राज्य मिशन को भी भेजा गया है।

दिल्ली सरकार ने यह भी बताया कि मोहल्ला क्लीनिक और सामुदायिक केंद्रों के जरिए कोविड-19 परीक्षण की पहुंच प्रदान करने के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने पर भी विचार चल रहा है।

उच्च न्यायालय ने अगले सीरो सर्वे की तारीखें साझा करने के लिए कहते हुए मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है।

अदालत ने यह निर्देश तब दिया है जब वह राकेश मल्होत्रा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के परीक्षण बढ़ाने और जल्दी रिपोर्ट देने की मांग की गई है।

एसडीजे-एसकेपी



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Delhi is reducing 4 thousand tests from its capacity: High Court
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