डिजिटल डेस्क,लखनऊ। उत्तर प्रदेश में "लव जिहाद" के अध्यादेश को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मंज़री दे दी जिसके बाद ये कानून बन चुका है। देश के कई हिस्सों में इस कानून का स्वागत किया जा रहा है लेकिन विरोध की आवाज़ें भी अब उठने लगी हैं, बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन लोकुर ने सवाल उठाते हुए कहा कि ये कानून फ्रीडम ऑफ च्वाइस के खिलाफ है।
दरअसल, एक लेक्चर के दौरान लोकुर ने कहा कि उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया लव जिहाद के खिलाफ कानून बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि ये चुनने की स्वतंत्रता, गरिमा, और मानवाधिकारों की अनदेखी करता है। साथ ही ये कानून धर्मांतरण संबंधी शादियां करने के खिलाफ और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यक्ति की पसंद और सम्मान की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए विकसित किए गए न्यायशास्त्र का उल्लंघन है। लोकुर ने साल 2018 के हादिया केस का ज़िक्र करते हुए कहा कि हादिया मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक एक महिला अपनी मर्जी से इस्लाम में परिवर्तित हो सकती है। और अपनी पसंद के पुरुष से शादी कर सकती है, आखिर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का क्या हुआ ?
क्या है "लव जिहाद" कानून
उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून प्रभावी हो चुका है बता दें कि योगी सरकार का कहना है कि लव जिहाद कानून का मकसद है। महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना। बता दें कि इस कानून के मुताबिक, ज़बरदस्ती लालच देकर किया गया धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध होगा। अगर कानून तोड़ा गया तो कम से कम 15 हज़ार रुपये जुर्माना और एक से पांच साल तक की सज़ा होगी।यही काम नाबालिग या अनुसूचित जाति या जनजाति की लड़की के साथ करने में कम से कम 25 हज़ार रुपये जुर्माना और 3 से दस साल तक की सज़ा होगी। गैरकानूनी सामूहिक धर्म परिवर्तन में कम से कम 50 हज़ार रुपये जुर्माना और 3 से 10 साल तक की सजा होगी। धर्म परिवर्तन के लिए तयशुदा फॉर्म भरकर दो महीने पहले जिलाधिकारी को देना होगा। इसका उल्लंघन करने पर 6 महीने से 3 साल की सज़ा और कम से कम 10 हज़ार रुपये जुर्माना होगा।
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