नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज 33वां दिन है। इस बीच सरकार ने किसानों को 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में बातचीत के लिए बुलाया है। इसे लेकर केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसानों को एक चिट्ठी लिखी है। इससे पहले किसानों ने शनिवार को सरकार की चिट्ठी का जवाब देते हुए मंगलवार 11 बजे मीटिंग करने का वक्त दिया था। उन्होंने 4 शर्तें भी रखीं।
किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार की चिट्ठी के बाद कहा कि मंगलवार को होने वाली चर्चा हमारे एजेंडे पर होगी। हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, अब चर्चा कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर होनी चाहिए। अभी हमारे आंदोलन को 33 दिन हुए हैं, सरकार नहीं मानी तो 66 दिन भी हो जाएंगे। बता दें कि अबतक सरकार और किसानों के बीच 6 राउंड की चर्चा हो चुकी है, लेकिन कोई निर्णय नहीं निकला। अब एक बार फिर दोनों पक्ष बातचीत की टेबल पर आए हैं ऐसे में उम्मीद है कि इस बार मंथन से कुछ निर्णय निकलेगा।
बता दें कि पिछले हफ्ते की शुरुआत में, सरकार ने किसानों को एक पत्र भेजा था और उनसे बातचीत के अगले दौर के लिए एक तारीख और समय का प्रस्ताव देने का आग्रह किया था। पत्र में, कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने किसानों से पूछा उन सभी अन्य मुद्दों का विवरण प्रदान करें, जिन पर वे चर्चा करना चाहते हैं। सरकार के इस निमंत्रण पर प्रतिक्रिया देते हुए, किसानों ने कहा कि वे हमेशा खुले दिल से विचार-विमर्श करने के लिए तैयार हैं और बैठक के लिए चार सूत्रीय एजेंडा रखा था।
1. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो।
2. मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे।
3. कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए।
4. इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
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