किसान आंदोलन 37वां दिन: प्रर्दशन के दौरान गाजीपुर बॉर्डर पर एक 57 वर्षीय किसान की मौत, जानिए दिनभर का अपडेट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीनों कृषि कानून के विरोध में 37 दिन से चल रहे आंदोलन के दौरान शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश के बागपत जिला स्थित भागवनपुर नांगल गांव के एक किसान की मौत हो गई। किसान के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव भेज दिया गया है। गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के सहयोगी सौरभ ने यह जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि बागपत जिला स्थित भगवानपुर नांगल गांव के गलतान सिंह गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे धरना-प्रदर्शन में शामिल थे और पूर्णतया स्वस्थ थे। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में उनकी मौत हो गई। सौरभ ने बताया कि दिवंगत गलतान सिंह करीब 57 साल के थे। इधर, 4 जनवरी को केंद्र के साथ होने वाली बैठक से पहले किसानों ने शुक्रवार को एक अहम बैठक की।

इस बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि अगर 4 जनवरी को हल नहीं निकला, बातचीत सही दिशा में नहीं गई और सरकार ने हमारे पक्ष में ठोस फैसला नहीं लिया तो हम हरियाणा में मॉल और पेट्रोल पंप बंद करेंगे। इसके अलावा 6 जनवरी को हम ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर बैठे किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे।

देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर स्थित गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर 26 नवंबर 2020 से ही किसान डेरा डाले हुए हैं। वे तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ न्यनूतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। हालांकि सरकार ने उनकी चार प्रमुख मांगों में पराली दहन से संबंधित अध्यादेश के तहत भारी जुर्माना और जेल की सजा के प्रावधान से मुक्त करने और बिजली सब्सिडी से जुड़ी उनकी मांगों को बुधवार को हुई बैठक में मान ली है और अन्य दो मांगों पर किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच अगली दौर की वार्ता चार जनवरी को होगी।

किसान बोले- अब तक हमारे 5% मुद्दों पर ही चर्चा हुई
किसान नेताओं ने कहा कि हमने जो भी मुद्दे उठाए हैं, अब तक हुई बैठकों में उनमें से केवल 5% पर चर्चा हुई है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि किसानों के 50% मुद्दों पर बात हो चुकी है। 4 में से 2 मसले सुलझ चुके हैं और दो अगली बैठक में सुलझा लिए जाएंगे। इस बयान पर शुक्रवार को ही किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा था कि सरकार ने पराली और बिजली कानून से जुड़ी हमारी 2 मांगें मान ली हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि हम बची हुई 2 मांगों से पीछे हट जाएंगे।

अपडेट्स

  • किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने बताया कि तीनों कृषि कानून रद्द होने चाहिए। अगर 4 जनवरी को भी इसका कोई हल नहीं निकलता है, तो आने वाले दिनों में संघर्ष और तेज होगा।
  • दिल्ली का चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर बंद कर दिया गया है। ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, आंदोलन को देखते हुए नोएडा और गाजियाबाद से आने वाले ट्रैफिक के लिए बॉर्डर को बंद कर दिया गया है।
  • पंजाब कांग्रेस के सांसद भी किसानों के समर्थन में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। रवनीत सिंह बिट्‌टू ने कहा कि हम यहां पिछले 25 दिन परिवार के साथ किसानों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं। उम्मीद है कि नए साल में इन काले कानूनों का वापस ले लिया जाएगा।
  • 2 मांगों पर 4 जनवरी को बैठक- अब किसानों और केंद्र सरकार के बीच 4 जनवरी को आठवें दौर की बातचीत होनी है। इसमें किसानों की दो कृषि कानून को वापस लेने और MSP की लीगल गारंटी की मांगों पर चर्चा होगी। बता दें कि किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। पंजाब में तो इससे पहले से आंदोलन कर रहे थे।
  • नए साल के जश्न में गाजर के हलवे व खीर की मिठास- किसानों ने नए साल के जश्न में गाजर के हलवे व खीर की मिठास को शामिल किया। इस दौरान गुड़ की खीर व मिठाई आदि बांटकर नया साल मनाया और एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी। आंदोलनरत एक किसान बलविंदर ने कहा कि नए साल की शुरुआत शुभ हो इसके लिए मीठे का लंगर लगाया गया है। इसका उद्देश्य केंद्र तक अपनी आवाज को नम्र रुप में पहुंचाना है। क्योंकि, किसान वर्ग किसी भी प्रकार की हिंसा का समर्थन नहीं करता है। वहीं, एक अन्य किसान हरदीप सिंह ने कहा कि नए साल की शुरुआत के लिए एक दिन पहले ही मेन्यू तय कर लिया गया था। इसमें गाजर का हलवा, खीर और अन्य मिठाइयों को शामिल किया गया था जिससे नए साल की शुरुआत शुभ हो। 
  • दिल्ली वालों ने सेवा कर मनाया नया वर्ष - नव वर्ष के अवसर पर दिल्ली से भी कई लोग सिंघु बॉर्डर पर सेवा करने के लिए पहुंचे। वहीं, कई लोगों ने दान भी किया। परिवार के साथ पहुंचे बच्चों ने भी लंगर में सेवा करने के साथ-साथ सफाई व्यवस्था आदि की जिम्मेदारी संभाली। सुबह से लेकर शाम तक दिल्ली से सेवा के लिए पहुंचने वाले लोगों का दौर जारी रहा। इस दौरान बॉर्डर से पहले ही गाड़ियों की लंबी लाइन भी लग गई थी जिसको संभालने के लिए यातायात पुलिस भी तैनात थी।
  • दिनभर चला भजन कीर्तन- किसानों ने नए वर्ष का स्वागत गुरबाणी और भजन-कीर्तन के साथ भी किया। सुबह से लेकर शाम तक के कई संगतों ने बॉर्डर पर गुरु का पाठ किया। वहीं, अन्य लोगों को भी धार्मिक रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान सिख धर्म से संबंधित वीर पुरुषों की वीरगाथा भी सुनाई गई।  


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Kisan agitation: A farmer died on the Ghazipur border during a protest demonstration against agricultural laws
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