डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत आज इमरजेंसी यूज के लिए एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की विकसित कोरोनावायरस वैक्सीन कोवीशील्ड को मंजूरी दे सकता है। इसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रहा है, जिसे कोवीशील्ड नाम से लाया जाएगा। इसकी मंजूरी को लेकर एक्सपर्ट पैनल ने अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को सौंप दी हैं। अब एप्लीकेशन ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से इसे जल्द अप्रूवल मिलने की उम्मीद है।

अगर ऑक्सोफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है तो फिर यूनाइटेड किंगडम और अर्जेंटीना के बाद भारत ऐसा करने वाला तीसरा देश होगा। इस निर्णय से दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में वैक्सीन के रोलआउट का मार्ग प्रशस्त होगा, जहां संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद कोविड-19 संक्रमण की सबसे अधिक संख्या है।

वैक्सीन के स्थानीय निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहले ही लगभग 50 मिलियन खुराकों का स्टॉक कर लिया है। सूत्रों में से एक ने कहा कि शॉट्स को शनिवार तक कोल्ड स्टोरेज से भारतीय राज्यों में ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।

सूत्रों ने रॉयटर को बताया कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की विकसित कोवैक्सिन को भी मंजूरी दे सकते हैं। सीडीएससीओ के एक्सपर्ट्स इसे लेकर इस हफ्ते में दो बार मीटिंग कर चुके हैं। वहीं फाइजर इंक और जर्मनी के BioNTech ने उसकी विकसित वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के अप्रूवल के लिए और डेटा प्रस्तुत करने का समय मांगा है।

इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी कोरोनावायरस वैक्सीन के अप्रूवल के लिए ड्रग रेगुलेटर की 10 सदस्यीय सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी के समक्ष अपने प्रजेंटेशन को कंक्लूड किया। ड्रग नियामक ने संकेत दिया था कि वैक्सीन की मंजूरी नए साल में हो सकती है।

एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की विकसित कोरोनावायरस वैक्सीन के फायदे की बात करें तो फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों की वैक्सीन की तुलना में कोविशिल्ड को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी बताया जा रहा है कि इसकी दो खुराक की कीमत करीब 1000 रुपए होगी।

बता दें कि भारत से पहले अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज का अप्रूवल मिल चुका है। वहीं ब्रिटेन ने फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी दी है। यहां वैक्सीनेशन भी चल रहा है। चीन ने हाल में स्वदेशी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी है। रूस में भी स्वदेशी वैक्सीन स्पूतनिक V के जरिए मास वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है। कनाडा ने फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी है।



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Oxford Covid vaccine set to become first to get approval in India says
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