डिजिटल डेस्क, रायपुर। जोधपुर के फलोदी जेल से सोमवार रात महिला सिपाही की आंख में मिर्च झोंककर 16 कैदियों के फरार होने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मंगलवार को शुरआती जांच में ही कैदियों के भगाने की बात सामने आई है। मामले में चार पुलिसकर्मियों की मिलीभगत सामने आई है। जांच के बाद इन्हें सस्पेंड कर दिया गया है।

कहानी के सभी नायक सस्पेंड  
कैदियों को भगाने के लिए जेल के कार्यवाहक जेलर नवीबक्स, गार्ड सुनील कुमार, मदनपाल सिंह और मधु देवी ने अफसरों को बढ़ा-चढ़ाकर कहानी बताई। मामले का खुलासा होने पर सभी को सस्पेंड कर दिया गया है।

ये कहानी फिल्मी है
घटना के तुरंत बाद सिपाही मदनपाल और राजेंद्र गोदारा चोटिल महिला सिपाही के पास खड़े थे। तब दोनों के कपड़े सही थे। लेकिन, आधे घंटे बाद जब ये दोनों अफसरों को बयान देने आए तो इनके कपड़े फटे थे। इन्होंने कैदियों के साथ धक्का-मुक्की होने की बात कही, जबकि तुरंत बाद की तस्वीरों से स्पष्ट था कि कैदियों को रोकने का दोनों ने कोई प्रयास नहीं किया। बाद में दोनों ने अपनी वर्दी व ड्रेस खुद फाड़कर यह दिखाने की कोशिश की कि उन्होंने कैदियों को रोकने का बहुत प्रयास किया। इसके बाद सभी चारों सुरक्षा गार्ड संदेह के घेरे में आ गए।

महिला पुलिसकर्मी ने बढ़ा-चढ़ाकर बताई कहानी
कैदियों के भागने के बाद महिला गार्ड मधु ने काफी बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाया कि भागते समय कैदियों को उसने रोकने का प्रयास किया। इस दौरान कैदियों ने उसे उठाकर फेंक दिया। इससे वह चोटिल हो गई। घटना के तुरंत बाद उसे अपने चोटिल होने के साथ तबीयत बिगड़ने की जोरदार एक्टिंग भी की, लेकिन पूछताछ में उसकी पोल खुल गई। 

अंदर का गेट खोला, बाहर के गेट पर नहीं था ताला
जेल के दो गेट हैं। बंदियों को बैरकों में डालने व निकालने के वक्त दोनों में से एक पर ताला होना चाहिए, लेकिन सोमवार को घटना के वक्त बाहरी गेट पर ताला नहीं था और अंदर का गेट वैसे ही खोला गया था। ऐसे में बंदियों के सामने न दीवार फांदने की नौबत आई और न ही कोई हथियार चलाने की। 

कचहरी परिसर में उप कारागृह सिर्फ विचाराधीन बंदियों को रखने के लिए है। 2400 वर्ग फीट के एरिया में ही यह जेल बनी हुई। यहीं SDM कोर्ट है। इतनी छोटी सी जगह में तीन बैरक हैं। साथ ही जेल का ऑफिस व कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर हैं।

SDM ऑफिस में थे, लेकिन सूचना नहीं दी
यह जेल SDM ऑफिस से 20 फीट की दूरी पर है। उस वक्त SDM यशपाल आहूजा ऑफिस में ही थे, लेकिन कर्मचारियों ने उन्हें वारदात की सूचना नहीं दी। न शोर मचाया और न ही बंदियों का पीछा करने की कोशिश की।

17 की क्षमता, बंदी 60 थे, स्टाफ 16 में से सिर्फ 4
जेल में बंदी क्षमता 17 की है, लेकिन जेल में हमेशा ही बंदी ज्यादा रहते हैं। सोमवार को जेल में 60 बंदी थे। जेलर सहित 16 का स्टाफ मंजूर है, लेकिन नियुक्ति 9 की ही है। 3 मार्च काे जेलर के सस्पेंड होने से यह पद भी खाली है। वारदात के समय जेल में 4 कर्मचारी ही थे, जबकि 5 छुट्टी पर बताए गए हैं। जेल की सुरक्षा के लिए अलग से स्टाफ की व्यवस्था नहीं है।



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