डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जाने माने कवि कुंवर बेचैन का कोरोना संक्रमण के चलते गुरुवार को निधन हो गया। कुंवर बेचैन और उनकी पत्नी संतोष कुंवर दोनों की 12 अप्रैल को कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। रिपोर्ट आने के बाद दोनों को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालत में सुधार नहीं होता देख कुंवर बेचैन को आनंद विहार स्थित एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था।
कुंअर बेचैन के निधन पर कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट कर लिखा, 'कोरोना से चल रहे युद्धक्षेत्र में भीषण दुःखद समाचार मिला है। मेरे कक्षा-गुरु, मेरे शोध आचार्य, मेरे चाचाजी, हिंदी गीत के राजकुमार, अनगिनत शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाले डॉ कुंअर बेचैन ने अभी कुछ मिनट पहले ईश्वर के सुरलोक की ओर प्रस्थान किया। कोरोना ने मेरे मन का एक कोना मार दिया।' एक और ट्वीट में कुमार विश्वास ने कहा, अरे मेरे राम, हे ईश्वर, बस भी कर।
बता दें कि कुंवर बेचैन हिंदी के प्रमुख कवि थे। उनका जन्म 1 जुलाई 1942 को उत्तर प्रदेश के उमरी गांव ज़िला मुरादाबाद में हुआ था। इनका पूरा नाम कुंवर बहादुर सक्सेना है। इनके पिता का नाम नारायणदास सक्सेना और माता का नाम मति गंगादेवी है।
उनका बचपन चंदौसी में बीता। कुंवर बेचैन ने एम.कॉम, एम.ए (हिंदी) और पी-एच.डी की थी। उन्होंने ग़ाज़ियाबाद के एम.एम.एच. महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में अध्यापन किया और रीडर भी रहे। उनके अनेक गीत संग्रह, ग़ज़ल संग्रह, काव्य संग्रह, महाकाव्य तथा एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं।
कुंवर बेचैन को साहित्य सम्मान (1977), उ.प्र. हिंदी संस्थान का साहित्य भूषण (2004), परिवार पुरस्कार सम्मान, मुंबई (2004) और राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैलसिंह एवं महामहिम डॉ. शंकरदयाल शर्मा द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
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