डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस के एयरोसोल 10 मीटर की दूरी तक फैल सकते हैं। जबकि ड्रॉपलेट्स 2 मीटर तक जाते हैं। प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन के ऑफिस की ओर से गुरुवार को कोरोना संक्रमण के ट्रांसमिशन को लेकर लोगों को सावधान करते हुए ये बात कही है। लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने करने के लिए भी कहा गया। बता दें कि पांच माइक्रोन से कम आकार के ड्रॉपलेट्स को एयरोसोल कहा जाता है।
'स्टॉप द ट्रांसमिशन, क्रश द पेन्डेमिक' नाम से शेयर की गई गाइलाइन्स में पैनल ने कहा, 'हमेशा याद रखें: जिन लोगों में कोरोना के लक्षण नजर नहीं आते, वे भी संक्रमण फैला सकते हैं। जिन जगहों पर वेंटिलेशन की अच्छी सुविधा होती है, वहां किसी संक्रमित से दूसरे में संक्रमण फैलने का खतरा कम रहता है। साथ ही कहा गया है कि खिड़की-दरवाजे बंद रखकर AC चलाने से कमरे के अंदर संक्रमित हवा इकट्ठी हो जाती है और दूसरे लोगों को संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन्स में यह भी बताया गया है कि कोरोना से संक्रमित लोगों के ड्रॉपलेट्स अलग-अलग सतहों पर लंबे समय तक रह सकते हैं। इसलिए दरवाजों के हैंडल, लाइट के स्विच, टेबल-कुर्सी और फर्श को ब्लीच और फिनाइल जैसे डिसइन्फेक्टेंट्स से साफ करते रहें। सरकार ने कहा कि लोगों को डबल लेयर या फिर N95 मास्क पहनने चाहिए। अगर डबल मास्क पहन रहे हैं तो पहले सर्जिकल मास्क पहनें, फिर इसके ऊपर टाइट फिटिंग वाला कपड़े का मास्क लगाएं।
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