Dainik Bhaskar Hindi - bhaskarhindi.com, नई दिल्ली। 93 पूर्व सिविल सर्वेंटों के एक ग्रुप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इसमें कहा गया है कि ‘विकास’ के नाम पर वहां जो कुछ हो रहा है, वह परेशान करनेवाला है। उन्होंने प्रधानमंत्री से लक्षद्वीप के नागरिकों के साथ मिलकर उपयुक्त डेवलपमेंट मॉडल तैयार करने का आग्रह किया है, जिसमें सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा और अच्छी शासन प्रणाली समेत अन्य चीजें शामिल हों। 

कॉन्स्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने जो लेटर लिखा है उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि उनका किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंध नहीं है। उनका विश्वास निष्पक्षता और भारत संविधान के प्रति प्रतिबद्धता में है। इसमें ये भी कहा गया है कि जो कदम उठाए गए हैं, उनसे विकास की नहीं, बल्कि मनमुताबिक नीति निर्माण की बू आती है और यह उस परंपरागत प्रक्रिया का उल्लंघन करते हैं, जो लक्षद्वीप के समाज और यहां के पर्यावरण का सम्मान करती है। 

लक्षद्वीप के लोगों से सलाह लिए बिना प्रशासक द्वारा उठाए गए इन कदमों और बहुत दूर तक असर डालने वाले प्रस्तावों से लक्ष्यद्वीप के समाज, अर्थव्यवस्था और भौगोलिक परिदृश्य के बुनियादी धागे पर प्रहार होता है। ऐसा लगता है जैसे यह द्वीप सिर्फ पर्यटकों और बाहरी दुनिया के निवेशकों के लिए रिएल एस्टेट का एक टुकड़ा हो। लेटर के जरिए पूर्व सिविल सर्वेंटों ने प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के फैसलों को वापस लेने की अपील की है।

बता दें कि प्रफुल पटेल ने लक्षद्वीप के नए प्रशासक का पदभार 5 दिसंबर 2020 को संभाला है। उन्होंने 28 मार्च 2021 को नया ड्राफ्ट पेश किया था। इनमें बीफ़ बैन, पंचायत चुनाव में उन लोगों के लड़ने पर पाबंदी, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, लोगों की गिरफ़्तारी, शराब से बैन हटाने और भूमि अधिग्रहण से जुड़े नए नियम शामिल हैं। ये सभी अभी ड्राफ़्ट हैं, जिन्हें अगर गृह मंत्रालय की मंज़ूरी मिल जाए, तो ये क़ानून की तरह लागू हो जाएंगे।

लक्षद्वीप एक केंद्र शासित प्रदेश है, यहां कोई विधानसभा नहीं है। राज्य की कमान राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त प्रशासक के हाथों में होती है। प्रफुल पटेल पर लक्षद्वीप के लोग "वहां की संस्कृति, रहने, खाने के तरीक़ों को नुक़सान पहुंचाने और बेवजह डर फैलाने" की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि हाल के कई प्रस्तावित नियम "लोकतांत्रिक मर्यादा के ख़िलाफ़" हैं।

हालांकि प्रफुल पटेल ने कहा है कि सब कुछ नियमों के मुताबिक़ हो रहा है और विरोध के स्वर केरल से अधिक उठ रहे हैं। उनका कहना है कि लक्षद्वीप में सिर्फ़ वहीं लोग विरोध कर रहे हैं, जिनका कोई निहित स्वार्थ है। बता दें कि लक्षद्वीप की संस्कृति में केरल की झलक देखने को मिलती है। यहीं वजह है कि केरल विधानसभा में सभी दलों ने लक्षद्वीप में उठाए गए कदमों के विरोध में प्रस्ताव भी पारित किया था।



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93 former civil servants write to PM, raise concerns over developments in Lakshadweep
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