श्रीनगर, 3 जून (आईएएनएस)। प्रवासी युवा कश्मीरी पंडितों के एक समूह कश्मीर युवा मूवमेंट (केवाईएम) द्वारा श्रीनगर में एलजीबीटी समुदाय के समर्थन में प्रस्तावित मार्च ने सोशल मीडिया पर विचार के समर्थकों और विरोधियों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है।
एलजीबीटी समुदाय के हितों को बढ़ावा देने वाला यह समूह दिल्ली, मुंबई, पुणे और जम्मू एवं कश्मरी में स्थित है।
समूह की योजना जून माह में श्रीनगर के लाल चौक पर मार्च आयोजित करने की थी, लेकिन कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है।
हालांकि, इस विचार ने सोशल मीडिया पर इसके समर्थकों और विरोधियों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। दोनों ही पक्ष आक्रामक रूप से अपना रुख पर कायम हैं।
इस कदम का समर्थन करने वाले एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा, खैर मुबारक, हम आपका स्वागत खुले हाथों से करते हैं!आपके लिए और अधिक शक्ति! आपको अभी एक लंबा रास्ता तय करना है! यह सिर्फ शुरूआत है।
अन्य ने कहा, आप प्रतिदिन जो समर्थन हमें दिखाते हैं उसके लिए प्यार! शांति मार्च में आने के लिए धन्यवाद। हम निश्चित रूप से कश्मीर में एक गौरव मार्च करेंगे।
इस कदम के विरोधियों ने भी इतने ही तेजी से इसके विरोध में अपनी अवाज बुलंद की है।
एक ने कहा, यदि आपकी स्वतंत्रता का विचार दूसरे के उत्पीड़न के चंगुल में है, तो हम उस स्वतंत्रता को अस्वीकार करते हैं। होमोफोबिक, यह कलंक कश्मीर में नहीं आना चाहिए। उनका (एलजीबीटीक्यू समर्थकों का) खतरनाक तरीके से ब्रेनवाश किया गया है।
केवाईएम के संस्थापक एमबीए के छात्र राहुल वाकिल ने कहा कि होमोफोबिया कश्मीर में एक गहरी जड़ बना चुका है और इससे निपटने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हमें दोनों तरफ से कुछ ना कुछ मिल रहा है, एक ओर से गुलदस्ते और दूसरी ओर से ईंट-पत्थर (धमकी)।
उन्होंने कहा, बात सिर्फ कश्मीर के लोगों की नहीं है, बल्कि देश के सभी हिस्सों से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में एलजीबीटी अधिकारों के समर्थन में मार्च निकाला गया है लेकिन अजीब बात है, लोग कश्मीर में समुदाय को समर्थन देने से कतराते हैं। कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के लिए समर्थकों के अलग-अलग मानक हैं।
उन्होंने कहा कि वे कश्मीर में एलजीबीटी समुदाय के संपर्क में हैं और केवाईएम की पहल का समर्थन करने के लिए उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल ने कहा, कश्मीर में हमसे जुड़े लोग बाहर नहीं आना चाहते हैं, हम उन्हें संदेश देने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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