डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। लद्दाख और साउथ चाइना सी में चीन के आक्रामक रवैये पर अमेरिका की पूरी नजर है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की इस कार्रवाई को अमेरिका ने भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स और साउथ चाइना सी के लिए ख़तरा बताया है। ऐसे में अमेरिका ने यूरोप में अपने सैनिकों की संख्या कम कर उसे दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में भेजना शुरू कर दिया है। जर्मनी में अमेरिका अपनी सेना की संख्या को 52,000 से 25,000 करेगा।
क्या कहा अमेरिकी विदेश मंत्री ने?
ब्रसेल्स फ़ोरम में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा, 'अमरीकी सैनिकों की तादाद कुछ ख़ास जगहों पर कम होगी ताकि जहां ज़्यादा ज़रूरी है वहां के ख़तरों का सामना किया जा सके।' उन्होंने कहा, अभी चीन से भारत को ख़तरा है, वियतनाम को ख़तरा है। इसके अलवा मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स और साउथ चाइना सी में चुनौतियां बढ़ रही हैं। हम इस बात से सुनिश्चित होना चाहते हैं कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी का सामना करने के लिए तैयार रहें। हमें लगता है कि हमारे वक़्त की यह चुनौती है और हम इसे सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि हमारी तैयारी पूरी है।
ट्रंप की घोषणा पर यूरोपियन यूनियन में गुस्सा
हाल ही में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि वह जर्मनी में अपनी सेना की तादाद घटाएगा। हालांकि ट्रंप की इस घोषणा के बाद यूरोपियन यूनियम में गुस्सा देखा गया था। आलोचकों का कहना था कि अमेरिका के इस कदम से यूरोप में रूस का ख़तरा बढ़ेगा। इसे लेकर पॉम्पियो ने कहा, अलग-अलग वक़्त में ऐसे फ़ैसले लिए जाते हैं। क्या हमें रणनीतिक लिहाज से सेना की तैनाती की समीक्षा नहीं करनी चाहिए? हमें ख़तरों और टकराव की गंभीरता के बारे में सोचना चाहिए। हमें देखना होगा कि कोई ख़तरा कितना गंभीर है और उसके हिसाब से हमें अपने संसाधनों का इस्तेमाल करना होगा।
लद्दाख पर चीन की नजर
भारत और चीन के बीच पिछले डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से लद्दाख सीमा पर विवाद चल रहा है। पांगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। 15 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोली नहीं चली। बातचीत के जरिए दोनों देश इस विवाद को सुलझानें की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक इसे सुलझाया नहीं जा सका है।
साउथ चाइना सी के इलाकों पर चीन की नजर
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चाइनीज आर्मी साउथ चाइना सी में एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन बनाना चाहती है। इस जोन के अंदर चीन प्रतास, पार्सेल और स्पार्टले द्वीप समूह को भी शामिल कर रहा है। इन द्वीपों को लेकर उसका ताइवान, वियतनाम और मलेशिया से विवाद चल रहा है। चीन इस जोन को बनाने पर वर्ष 2010 से विचार कर रहा है लेकिन अभी तक हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। माना जा रहा है कि अब दुनिया को कोरोना संकट में फंसा देख चीन को मौका मिला गया है। इसके अलावा चीन फिलीपींस से सटे स्कारबोरोघ शोअल द्वीप पर एयर और नेवल बेस बनाने जा रहा है।
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