डिजिटल डेस्क, शिमला। आज देश को दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग मिलने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आज सुबह 10 बजे हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 'अटल टनल' (Atal Tunnel) का उद्घाटन करेंगे। इसके लिए पीएम मोदी शनिवार सुबह चंडीगढ़ पहुंचे। अब पीएम मनाली एयरपोर्ट पहुंच गए हैं।
Himachal Pradesh: Prime Minister Narendra Modi arrives at Manali for the inauguration of #AtalTunnel, the longest highway tunnel in the world built at an altitude of 3000 meters pic.twitter.com/xd0vY6th31
— ANI (@ANI) October 3, 2020
चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे पीएम मोदी
#WATCH चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 3, 2020
प्रधानमंत्री आज सुबह 10 बजे हिमाचल प्रदेश में अटल टनल का उद्घाटन करेंगे। pic.twitter.com/KiQmmMqtqP
'अटल टनल' राष्ट्र को समर्पित करने के बाद पीएम मोदी लाहौल घाटी में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। इसको लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं।
Himachal Pradesh: Visuals from Sissu in Lahaul valley where PM Narendra Modi will address a public gathering today after inaugurating Atal Tunnel which is the longest highway tunnel in the world.
— ANI (@ANI) October 3, 2020
The tunnel connects Manali to Lahaul-Spiti valley throughout the year. pic.twitter.com/9hyFrFy161
9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग है
अटल सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर तक कम करती है और यात्रा के समय को भी चार से पांच घंटे कम कर देती है। यह 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो कि मनाली को पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे पहले घाटी हर साल लगभग छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण अन्य हिस्सों से कट जाती थी।
26 मई 2002 को इसकी आधारशिला रखी गई थी
इस टनल को बनाने का ऐतिहासिक फैसला 3 जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। 26 मई 2002 को इसकी आधारशिला रखी गई। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर 2019 को इस टनल का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने का फैसला किया।
टनल के भीतर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार तय
सुरंग को समुद्र तल से 3,000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है। इस टनल में हर रोज तीन हजार कार और डेढ़ हजार ट्रक गुजर सकेंगे। टनल के भीतर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार तय की गई है। टनल के भीतर सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम होगा। यहां किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तमाम व्यवस्था भी की गई है। टनल के भीतर सुरक्षा पर भी खास ध्यान दिया गया है। दोनों ओर एंट्री बैरियर रहेंगे। हर डेढ़ सौ मीटर पर आपात स्थिति में संपर्क करने की व्यवस्था होगी। हर 60 मीटर पर आग बुझाने का संयंत्र होगा। इसके अलावा हर ढाई सौ मीटर पर दुर्घटना का स्वयं पता लगाने के लिए सीसीटीवी का इंतजाम भी किया गया हैं। यहां हर एक किलोमीटर पर हवा की क्वालिटी जांचने का भी इंतजाम है।
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