मुजफ्फरपुर, 4 जुलाई (आईएएनएस)। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण काल में बिहार में सरकारी और निजी स्कूलों द्वारा बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है वहीं कई ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे बच्चे भी हैं, जिनके पास ना टीवी और और न ही स्मार्ट फोन हैं। ऐसे में राज्य के 37 गांवों में ऐसे ग्रामीण बच्चों को लिए गांव की मांएं ही शिक्षा सहेली बनी हुई हैं। गांव की पढ़ी लिखी ये मां अब ऐसे बच्चों को नई दिशा दिखा दे रही हैं।
कोरोना संक्रमण काल के दौरान लॉकडाउन में स्कूल बंद हुए तो इन ग्रामाीण बच्चों के पास टीवी औा स्मार्ट फोन नहीं होने के कारण पढ़ाई का कोई उपाय नहीं बचा, ऐसे में ये बच्चे पढ़ाई से दूर नहीं हों, इसके लिए 37 गांवों की मां ने पहल प्रारंभ की।
मुजफ्फरपुर और गया जिले के इन 37 गांवों में शिक्षित महिलाओं का चयन किया गया और उन्हें इसके लिए जागरूक कर ऐसे वंचित समाज के बच्चों को पढ़ाई का दायित्व सौंपा गया।
गांवों में ऐसी मां के चयन करने वाली स्वयंसेवी संस्था ज्योति महिला समाख्या की सदस्य पूनम कुमारी आईएएनएस को बताती हैं कि लॉकडाउन में सबसे अधिक वंचित समाज के बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही थी। ये बच्चे गांवों के खेतों में घूमकर समय बर्बाद कर रहे थे। ये बच्चे खेल-खेल में ही पढ़ सकें, इसके लिए सात सामाजिक संस्थाओं ने मिलकर एक योजना बनाई और इसे सरजमीं पर उतार दिया।
वे कहती हैं कि इस कार्यक्रम का नेतृत्व मंत्रा संस्था द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि फिलहाल ये मुजफ्फरपुर के मुसहरी और बंदरा प्रखंड तथा गया के आमस, बांके बाजार और डोभी गांव के 37 गांवों में चलाया जा रहा है।
वे कहती हैं, जिन मांओं का इसके लिए चयन किया गया, वे बच्चों को पढ़ा रही हैं। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है, इस कारण कई गांवों में बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया गया है। चयनित महिलओं को पढाने के लिए कुछ प्रारंभिक तौर पर ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है तथा कुछ पाठ्यपुस्तकें भी उपलब्ध कराई गई हैं।
उन्होंने बताया कि इसमें वर्ग एक से लेकर पांचवी वर्ग तक के बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। पूनम बताती हैं कि चयनित महिलाओं को भी उनके ही टोलों में इसकी जवाबदेही दी गई है, जिससे एक स्थान पर बच्चे भी कम हों और उन सहेली मां को भी ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े।
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