ये हैं वो क्रिकेटर, जो अपने ही देश की सरकार के खिलाफ काली पट्टी बांधकर मैदान में उतरे थे, फिर देश छोड़कर जाना पड़ा  

डिजिटल डेस्क ( भोपाल)।   लगभग 17 साल पहले 2003 में जिम्बाब्वे के हरारे क्रिकेट ग्राउंड पर दो क्रिकेटरों ने ऐसा कुछ किया कि वह इतिहास में एक महत्वपूर्ण आंदोलन की रूप में दर्ज हो गया। इस समय भारत में किसान आंदोलन चल रहा है और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के आंदोलनजीवी शब्द पर बबाल मचा हुआ है। कई भारतीय क्रिकेटर भी आंदोलन को लेकर नसीहत दे चुके हैं, लेकिन जिम्बाब्वे के दो क्रिकेटर हेनरी ओलोंगा और एंडी फ्लावर ने अपने ही देश की सरकार के खिलाफ काली पट्टी बांधकर जब मैदान में उतरे और जिम्बाब्वे की रॉबर्ट मुगाबे सरकार को गहरी चोट दी तो 10 फरवरी का वह दिन इतिहास में एक खास आंदोलन की वजह से दर्ज हो गया। 

दरअसल, 2003 में जिम्बाब्वे के घरेलू हालात अच्छे नहीं थे। इसका नतीजा वहां के क्रिकेट पर भी दिख रहा था। 2003 के वर्ल्ड कप में टीम के शामिल होने पर भी संदेह था। हालांकि, टीम ने वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई किया। लेकिन टीम के दो अहम खिलाड़ियों  हेनरी ओलोंगा और एंडी फ्लावर ने मैदान पर जो किया, वह एक मिसाल बन गई। 

हरारे में जिम्बाब्वे के पहले मैच में तेज गेंदबाज हेनरी ओलंगा और दिग्गज बल्लेबाज ऐंडी फ्लावर ने बहादुरी और आत्म-सम्मान की मिसाल पेश की। दोनों खिलाड़ी काले रंग की पट्टी बांधकर मैदान पर उतरे। वह देश की रॉबर्ट मुगाबे की सरकार के रवैये के खिलाफ थे। उन्होंने इसे देश में 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया था। आईसीसी ने इन दोनों खिलाड़ियों की इस हरकत को राजनीतिक तो माना, लेकिन इनके खिलाफ कोई भी ऐक्शन लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, दोनों खिलाड़ियों को इसके बाद क्रिकेट से सन्यास लेना पड़ा और दोनों को देश निकाला भी हुआ। दोनों देश छोड़कर चले गए। हेनरी ओलोंगा अब अपने परिवार के साथ इंग्लैंड में रहते हैं। 

10 फरवरी को खेले गए इस मैच को जिम्बाब्वे ने जीता जरूर था, लेकिन यह इन दो खिलाड़ियों की व्यक्तिगत जीवन की सबसे बड़ी जीत के तौर पर याद किया जाता है। इसके बाद जब मार्टिन विलियमसन ने 2003 विश्व कप में ब्लैक आर्मबैंड विरोध के बारे में हेनरी ओलोंगा से बात की तो उन्होंने बताया कि यह निर्णय लेना इतना भी आसान नहीं था। हेनरी को पता था कि इसके बाद हालात उनके लिए और भी मुश्किल भरे हो जाएंगे। 

10 फरवरी को, हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे के विश्व कप अभियान को जारी रखने के लिए नामीबिया से महत्वपूर्ण मैच खेला जाना था। लेकिन मैच शुरू होने से एक घंटे पहले, शांति तब बिखर गई जब यह पता चला कि हेनरी ओलोंगा और एंडी फ्लावर, दो वरिष्ठ खिलाड़ी इस अवसर का उपयोग सार्वजनिक विरोध के लिए करने जा रहे हैं। दोनों ने मीडिया में बयान जारी कर सनसनी फैला दी कि वह इस दिन काली पट्टी बांधकर इसे "देश में लोकतंत्र की मृत्यु का शोक के रुप में मनाएंगे"। 



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Henry Olonga and Andy Flower make a public protest in 2003, wearing black armbands to mourn the death of democracy in the country 
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