डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। चीन के वुहान शहर से फैले नोवल कोरोनावायरस से अब तक 20 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि करीब डेढ़ लाख लोगों की जान इस वायरस ने ले ली है। ऐसे में ये सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिर ये वायरस वुहान शहर कैसे पहुंचा? इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की थ्योरी सामने आई है। कुछ का मानना है कि ये वायरस किसी जानवर के जरिए इंसानों तक पहुंचा और फिर ये इंसानों से इंसानों में फैलता चला गया। एक थ्योरी ये भी है कि ये वायरस चीन की ही लैब से निकला है। चीन के लैब से वायरस निकलने की थ्योरी की सच्चाई का पता लगाने के लिए अमेरिका की खुफिया एजेंसियां भी काम कर रही है।
क्या लैब में हुआ कोई हादसा?
एक इंटेलिजेंस ऑफिसर ने सीएनएन को बताया कि अमेरिका इस बात की जांच कर रहा है कि क्या इस वायरस की उत्पत्ति चीन की लैब से हुई और गलती से ये लोगों तक पहुंच गया। कुछ अन्य सूत्रों ने सीएनएन को बताया कि अमेरिका का इंटेलिजेंस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि कही चीन की लैब में ही काम करने वाले किसी शख्स से छोटा सा हादसा तो नहीं हुआ और वो खुद इन्फेक्टेड हो गया हो। इसके बाद उसने अनजाने में इसे कई दूसरे लोगों तक इस वायरस को पहुंचा दिया हो। हालांकि कुछ अधिकारियों ने ये भी संभावना जताई है कि ऐसा हो सकता है कि हमें कभी इसके वास्तविक कारण का पता ही नहीं चले।
फिलहाल वायरस की उत्पत्ति लग रही नेचुरल
ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन मार्क मिले ने भी कहा कि यूएस इंटलिजेंसी इस बात पर कड़ी नजर बनाए हुए है कि कि क्या नोवल कोरोनावायरस चीन की लैब में उत्पन्न हुआ। उन्होंने कहा, इस समय मैं किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकता। मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि अब तक जो सबूत मिले हैं उनसे इस वायरस की उत्पत्ति नेचुरल लग रही है, लेकिन इसके बावजूद कुछ कहा नहीं जा सकता। हमें कुछ पता नहीं है। बता दें कि चीन की लैब में कोरोना के तैयार होने का शक सबसे पहले याहू न्यूज़ और फॉक्स न्यूज़ ने जताया था। हलांकि अमेरिका ये नहीं मानता है कि ये वायरस बायोवेपन रिसर्च से जुड़ा है।
वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में होती है चमगादड़ों पर रिसर्च
चीन की जिस लैब से नोवल कोरोनावायरस के फैलने का दावा किया जा रहा है उसका नाम वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) है। पहले इसका नाम वुहान माइक्रो बायोलॉजी लेबरोटरी था। इसकी स्थापना 1956 में की गई थी। 1978 में इसका नाम वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी रखा गया था। ये लैब वर्ल्ड क्लास रिसर्च के लिए पहचानी जाती है। इस लैब में लंबे समय से चमगादड़ों में मौजूद कोरोनावायरस को लेकर रिसर्च चल रही है। 2015 में इस इंस्टिट्यूट ने एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया। इस पेपर में दावा किया गया कि चमगादड़ में मौजूद कोरोना वायरस इंसानों में ट्रांसफर हो सकता है। 2017 में भी इसी तरह की एक रिसर्च सामने आई थी।
.Download Dainik Bhaskar Hindi App for Latest Hindi News.
from दैनिक भास्कर हिंदी https://ift.tt/3aeP1ei
0 Comments