डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आपराधिक अवमानना के लिये दोषी ठहराये गये सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने एक रुपए का सांकेतिक जुर्माना भरने के लिए कहा है। कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रशांत भूषण ने कहा, मैं फैसला मान रहा हूं लेकिन अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए चुनौती जरूर दूंगा। उन्होंने कहा, मैं खुशी-खुशी जुर्माना भरने के लिए तैयार हूं, एक जिम्मेदार नागरिक की तरह जुर्माना भरूंगा। भूषण ने कहा कि मेरे हृदय में सुप्रीम कोर्ट के लिए पूरा सम्मान है।
क्या कहा प्रशांत भूषण ने?
प्रशांत भूषण ने कहा, मेरे ट्वीट्स का मकसद सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करना नहीं था। ये मुद्दा मेरे या सुप्रीम कोर्ट और किसी जज के खिलाफ नहीं था। उन्होंने कहा कि इस दौरान जिन लोगों ने मुझे समर्थन दिया, मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं। उन्होंने कहा, इस मामले के कारण एक बार फिर लोगों का ध्यान फ्रीडम ऑफ स्पीच की ओर गया है। इससे पहले उन्होंने ट्विटर पर दो तस्वीरें पोस्ट की थी। जिसमें वह अपने वकील राजीव धवन से एक रुपए लेते दिखाई दे रहे हैं। तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा, 'मेरे वकील और वरिष्ठ साथी राजीव धवन ने आज अवमानना केस पर फैसला आते ही मुझे एक रुपया दिया जिसे मैंने कृतज्ञता के साथ स्वीकार कर लिया।'
My lawyer & senior colleague Rajiv Dhavan contributed 1 Re immediately after the contempt judgement today which I gratefully accepted pic.twitter.com/vVXmzPe4ss
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 31, 2020
जुर्माना नहीं बरा तो तीन महीने की कैद
प्रशांत भूषण को 15 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जुर्माने की राशि जमा कराना होगी। जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुए कहा कि जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की साधारण कैद भुगतनी होगी और तीन साल तक उनके वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा। बता दें कि प्रशांत भूषण ने दो ट्वीट किए थे जिसे कोर्ट ने अवमानना माना और खुद संज्ञान लिया। 14 अगस्त को कोर्ट ने इन ट्वीट पर प्रशांत भूषण के स्पष्टीकरण को अस्वीकार करते हुए उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया था. कोर्ट ने भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से मना कर दिया था।
पहला ट्वीट
प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था। प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।
दूसरा ट्वीट
दूसरा ट्वीट उन्होंने 29 जून को चीफ जस्टिस बोबड़े के खिलाफ किया था। प्रशांत भूषण ने कहा था, भारत के चीफ़ जस्टिस ऐसे वक़्त में राज भवन, नागपुर में एक बीजेपी नेता की 50 लाख की मोटरसाइकिल पर बिना मास्क या हेलमेट पहने सवारी करते हैं जब वे सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन में रखकर नागरिकों को इंसाफ़ पाने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर रहे हैं।
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